राष्ट्र की बात के साथ मैं हूँ विश्राम सिंह यादव।
आज "राष्ट्र की बात" में हम एक ऐसे विषय पर चर्चा करेंगे, जो 2014 से पहले देशभर में गूंज रहा था—"मोदी जी प्रधानमंत्री बनेंगे तो इनकम टैक्स खत्म हो जाएगा!" यह वादा कितना सच्चा था और कितना झूठा, इसका आकलन आज हम करेंगे।
क्या वास्तव में देश को इनकम टैक्स से मुक्ति मिली, या फिर जनता को सिर्फ सपनों में ही करमुक्त भारत देखने को मिला? क्या यह वादा सिर्फ चुनावी जुमला था, या इसका कोई ठोस आधार था? आइए, इस पूरे मुद्दे पर गहराई से विचार करें और सच्चाई को उजागर करें।
मोदी जी का ‘इनकम टैक्स मुक्त भारत’ – एक अधूरी कहानी
भूमिका
भारतीय राजनीति में वादे करना और उन्हें निभाना दो अलग-अलग बातें हैं। जब 2014 के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी जी ने देश को ‘अच्छे दिन’ का सपना दिखाया था, तब जनता को लगा कि अब वह स्वर्ण युग आने वाला है, जिसमें हर भारतीय समृद्ध होगा और सरकार का कोई कर बोझ नहीं होगा। इसी दौरान एक वादा ऐसा भी था जो आम जनता को सबसे ज्यादा भाया— "प्रधानमंत्री बनते ही मोदी जी इनकम टैक्स खत्म कर देंगे!"
अब 2025 आ गया है और इनकम टैक्स खत्म होने की बजाय और भी जटिल और भारी होता जा रहा है। टैक्स देने वालों की संख्या बढ़ी है, नए-नए कर लगाए गए हैं, और आम आदमी की जेब पहले से ज्यादा हल्की होती जा रही है। ऐसे में 2014 से पहले के इस अखबार की कटिंग को देखकर लोगों की आँखें नम हो रही हैं— मगर यह आँसू खुशी के नहीं, धोखे के हैं!
वादों की राजनीति और जनता का भ्रम
भारतीय राजनीति में ‘फ्री में सब कुछ’ देने का वादा कोई नई बात नहीं है। हर चुनाव में कोई न कोई नेता आकर बड़े-बड़े वादे करता है, और सत्ता में आने के बाद वे वादे हवा हो जाते हैं। 2014 में नरेंद्र मोदी जी ने जो सबसे बड़े वादे किए थे, उनमें ‘इनकम टैक्स हटाने’ वाला वादा भी शामिल था। जनता ने इस वादे को बहुत गंभीरता से लिया क्योंकि यह उनकी सबसे बड़ी समस्याओं में से एक थी।
मोदी जी के कथित वादे की मुख्य बातें:
1. आम जनता को इनकम टैक्स नहीं देना होगा।
2. देश की अर्थव्यवस्था इतनी मजबूत होगी कि टैक्स की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
3. ब्लैक मनी वापस लाकर हर भारतीय के खाते में 15 लाख रुपये जमा किए जाएंगे, जिससे टैक्स देने की जरूरत खत्म हो जाएगी।
4. GST और अन्य कर सुधारों से देश को टैक्स फ्री बनाया जाएगा।
लेकिन इन सबका हश्र क्या हुआ? इनमें से एक भी वादा पूरा नहीं हुआ, बल्कि उल्टा जनता पर टैक्स का बोझ बढ़ गया।
आज की स्थिति – टैक्स हटना तो दूर, बढ़ गया!
2014 से पहले इनकम टैक्स खत्म करने की बातें जोरों पर थीं, लेकिन 2014 के बाद असली खेल शुरू हुआ।
1. GST (गुड्स एंड सर्विस टैक्स):
इनकम टैक्स हटाने की जगह, मोदी सरकार ने 2017 में GST लागू कर दिया, जिससे व्यापारियों, छोटे दुकानदारों और आम जनता पर टैक्स का और ज्यादा बोझ आ गया। अब हर सामान पर 5%, 12%, 18%, या 28% तक का टैक्स लगने लगा।
2. सेवाओं पर टैक्स:
पहले केवल बड़े उद्योगों पर टैक्स लगता था, लेकिन अब हर सेवा पर टैक्स लागू कर दिया गया। रेस्तरां में खाने से लेकर बिजली के बिल तक, हर जगह टैक्स ही टैक्स।
3. अप्रत्यक्ष करों का बढ़ता बोझ:
सरकार ने इनकम टैक्स को हटाने की जगह पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, और अन्य आवश्यक वस्तुओं पर कर बढ़ा दिया। नतीजा? गरीब और मध्यम वर्ग की जेब खाली होती चली गई।
4. ‘15 लाख’ का झूठ:
2014 में कहा गया था कि काला धन वापस आएगा और हर व्यक्ति के खाते में 15 लाख रुपये आएंगे। लेकिन 2025 आ गया और किसी के खाते में 15 लाख तो छोड़िए, 15 रुपये भी नहीं आए।
व्यंग्य – ‘मुक्त भारत’ का खोखलापन
आज जब किसी को 2014 से पहले के इस अखबार की कटिंग मिलती है, तो वह हंसता भी है और रोता भी है।
कल्पना कीजिए एक ऐसे भारत की, जहां इनकम टैक्स नहीं है!
हर महीने वेतन पूरा मिलता, सरकार एक भी रुपया नहीं काटती!
कोई इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं होती, CA और अकाउंटेंट का झंझट खत्म!
सरकार गरीबों से भी टैक्स नहीं वसूलती, सबके पास ज्यादा पैसे होते!
लेकिन वास्तविकता क्या है?
सरकार टैक्स हटाने की बजाय और ज्यादा टैक्स लगा रही है।
आज भारत में पेट्रोल-डीजल पर दुनिया में सबसे ज्यादा टैक्स लगता है।
हर व्यक्ति को अपनी कमाई पर टैक्स देना ही पड़ता है, चाहे वह नौकरीपेशा हो, व्यापारी हो या किसान!
भविष्य की ओर नजर – क्या इनकम टैक्स कभी हटेगा?
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या कभी भारत में इनकम टैक्स हटेगा? इसका जवाब है— "नहीं!"
1. सरकार को अपने खर्च के लिए टैक्स की जरूरत पड़ती है। अगर सरकार इनकम टैक्स खत्म कर देगी, तो वह पैसा कहाँ से लाएगी?
2. दुनिया के लगभग हर विकसित देश में इनकम टैक्स लगाया जाता है। अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, जापान—हर जगह लोगों को इनकम टैक्स देना ही पड़ता है।
3. भारत की अर्थव्यवस्था टैक्स के बिना नहीं चल सकती। सरकार को वेतन, विकास योजनाओं और योजनाओं को चलाने के लिए पैसा चाहिए।
इसलिए यह कहना कि "मोदी जी टैक्स खत्म कर देंगे" महज एक चुनावी जुमला था, और कुछ नहीं!
निष्कर्ष – जनता कब तक ठगी जाएगी?
इस तरह के झूठे वादे सिर्फ जनता को मूर्ख बनाने के लिए किए जाते हैं। 2014 से पहले इनकम टैक्स खत्म करने की बातें हुई थीं, लेकिन सत्ता में आते ही मोदी सरकार ने इसे बढ़ा दिया।
क्या जनता 2027 में भी ऐसे वादों पर भरोसा करेगी?
शायद हाँ, क्योंकि भारतीय राजनीति में ‘याददाश्त कमजोर होती है’!
लेकिन अब लोगों को सतर्क होने की जरूरत है।
हर चुनाव में बड़े-बड़े वादे सुनने के बजाय, जनता को नेताओं से जवाब मांगना चाहिए— "जो 2014 में कहा था, वह पूरा क्यों नहीं हुआ?"
अंत में एक सवाल – क्या आपके इनकम टैक्स के पैसे का सही उपयोग हो रहा है? या फिर यह भी एक और जुमला निकला?
विश्राम सिंह यादवमोदी जी का ‘इनकम टैक्स मुक्त भारत’ – एक अधूरी कहानी
भूमिका
भारतीय राजनीति में वादे करना और उन्हें निभाना दो अलग-अलग बातें हैं। जब 2014 के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी जी ने देश को ‘अच्छे दिन’ का सपना दिखाया था, तब जनता को लगा कि अब वह स्वर्ण युग आने वाला है, जिसमें हर भारतीय समृद्ध होगा और सरकार का कोई कर बोझ नहीं होगा। इसी दौरान एक वादा ऐसा भी था जो आम जनता को सबसे ज्यादा भाया— "प्रधानमंत्री बनते ही मोदी जी इनकम टैक्स खत्म कर देंगे!"
अब 2025 आने वाला है और इनकम टैक्स खत्म होने की बजाय और भी जटिल और भारी होता जा रहा है। टैक्स देने वालों की संख्या बढ़ी है, नए-नए कर लगाए गए हैं, और आम आदमी की जेब पहले से ज्यादा हल्की होती जा रही है। ऐसे में 2014 से पहले के इस अखबार की कटिंग को देखकर लोगों की आँखें नम हो रही हैं— मगर यह आँसू खुशी के नहीं, धोखे के हैं!
वादों की राजनीति और जनता का भ्रम
भारतीय राजनीति में ‘फ्री में सब कुछ’ देने का वादा कोई नई बात नहीं है। हर चुनाव में कोई न कोई नेता आकर बड़े-बड़े वादे करता है, और सत्ता में आने के बाद वे वादे हवा हो जाते हैं। 2014 में नरेंद्र मोदी जी ने जो सबसे बड़े वादे किए थे, उनमें ‘इनकम टैक्स हटाने’ वाला वादा भी शामिल था। जनता ने इस वादे को बहुत गंभीरता से लिया क्योंकि यह उनकी सबसे बड़ी समस्याओं में से एक थी।
मोदी जी के कथित वादे की मुख्य बातें:
1. आम जनता को इनकम टैक्स नहीं देना होगा।
2. देश की अर्थव्यवस्था इतनी मजबूत होगी कि टैक्स की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
3. ब्लैक मनी वापस लाकर हर भारतीय के खाते में 15 लाख रुपये जमा किए जाएंगे, जिससे टैक्स देने की जरूरत खत्म हो जाएगी।
4. GST और अन्य कर सुधारों से देश को टैक्स फ्री बनाया जाएगा।
लेकिन इन सबका हश्र क्या हुआ? इनमें से एक भी वादा पूरा नहीं हुआ, बल्कि उल्टा जनता पर टैक्स का बोझ बढ़ गया।
आज की स्थिति – टैक्स हटना तो दूर, बढ़ गया!
2014 से पहले इनकम टैक्स खत्म करने की बातें जोरों पर थीं, लेकिन 2014 के बाद असली खेल शुरू हुआ।
1. GST (गुड्स एंड सर्विस टैक्स):
इनकम टैक्स हटाने की जगह, मोदी सरकार ने 2017 में GST लागू कर दिया, जिससे व्यापारियों, छोटे दुकानदारों और आम जनता पर टैक्स का और ज्यादा बोझ आ गया। अब हर सामान पर 5%, 12%, 18%, या 28% तक का टैक्स लगने लगा।
2. सेवाओं पर टैक्स:
पहले केवल बड़े उद्योगों पर टैक्स लगता था, लेकिन अब हर सेवा पर टैक्स लागू कर दिया गया। रेस्तरां में खाने से लेकर बिजली के बिल तक, हर जगह टैक्स ही टैक्स।
3. अप्रत्यक्ष करों का बढ़ता बोझ:
सरकार ने इनकम टैक्स को हटाने की जगह पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, और अन्य आवश्यक वस्तुओं पर कर बढ़ा दिया। नतीजा? गरीब और मध्यम वर्ग की जेब खाली होती चली गई।
4. ‘15 लाख’ का झूठ:
2014 में कहा गया था कि काला धन वापस आएगा और हर व्यक्ति के खाते में 15 लाख रुपये आएंगे। लेकिन 2025 आ गया और किसी के खाते में 15 लाख तो छोड़िए, 15 रुपये भी नहीं आए।
व्यंग्य – ‘मुक्त भारत’ का खोखलापन
आज जब किसी को 2014 से पहले के इस अखबार की कटिंग मिलती है, तो वह हंसता भी है और रोता भी है।
कल्पना कीजिए एक ऐसे भारत की, जहां इनकम टैक्स नहीं है!
हर महीने वेतन पूरा मिलता, सरकार एक भी रुपया नहीं काटती!
कोई इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं होती, CA और अकाउंटेंट का झंझट खत्म!
सरकार गरीबों से भी टैक्स नहीं वसूलती, सबके पास ज्यादा पैसे होते!
लेकिन वास्तविकता क्या है?
सरकार टैक्स हटाने की बजाय और ज्यादा टैक्स लगा रही है।
आज भारत में पेट्रोल-डीजल पर दुनिया में सबसे ज्यादा टैक्स लगता है।
हर व्यक्ति को अपनी कमाई पर टैक्स देना ही पड़ता है, चाहे वह नौकरीपेशा हो, व्यापारी हो या किसान!
भविष्य की ओर नजर – क्या इनकम टैक्स कभी हटेगा?
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या कभी भारत में इनकम टैक्स हटेगा? इसका जवाब है— "नहीं!"
1. सरकार को अपने खर्च के लिए टैक्स की जरूरत पड़ती है। अगर सरकार इनकम टैक्स खत्म कर देगी, तो वह पैसा कहाँ से लाएगी?
2. दुनिया के लगभग हर विकसित देश में इनकम टैक्स लगाया जाता है। अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, जापान—हर जगह लोगों को इनकम टैक्स देना ही पड़ता है।
3. भारत की अर्थव्यवस्था टैक्स के बिना नहीं चल सकती। सरकार को वेतन, विकास योजनाओं और योजनाओं को चलाने के लिए पैसा चाहिए।
इसलिए यह कहना कि "मोदी जी टैक्स खत्म कर देंगे" महज एक चुनावी जुमला था, और कुछ नहीं!
निष्कर्ष – जनता कब तक ठगी जाएगी?
इस तरह के झूठे वादे सिर्फ जनता को मूर्ख बनाने के लिए किए जाते हैं। 2014 से पहले इनकम टैक्स खत्म करने की बातें हुई थीं, लेकिन सत्ता में आते ही मोदी सरकार ने इसे बढ़ा दिया।
क्या जनता 2027 में भी ऐसे वादों पर भरोसा करेगी?
शायद हाँ, क्योंकि भारतीय राजनीति में ‘याददाश्त कमजोर होती है’!
लेकिन अब लोगों को सतर्क होने की जरूरत है।
हर चुनाव में बड़े-बड़े वादे सुनने के बजाय, जनता को नेताओं से जवाब मांगना चाहिए— "जो 2014 में कहा था, वह पूरा क्यों नहीं हुआ?"
अंत में एक सवाल – क्या आपके इनकम टैक्स के पैसे का सही उपयोग हो रहा है? या फिर यह भी एक और जुमला निकला?
विश्राम सिंह यादव
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