सेवा में, माननीय श्रीमान मुख्य न्यायमूर्ति (सीजेआई साहब) जी, उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली।

 सेवा में,

        माननीय श्रीमान मुख्य न्यायमूर्ति (सीजेआई साहब) जी,  

                        उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली।

विषय: उत्तर प्रदेश के जनपद मैनपुरी के करहल थाने में तैनात कांस्टेबल नदीम खान को धनराशि  आदि न देने के कारण प्रार्थी को ट्रैक्टर चोरी के झूठे मुकदमे में फंसाने के प्रयास के संबंध में प्रार्थना पत्र।


श्रीमान जी!

        आपसे सादर सविनय प्रार्थना है कि प्रार्थी ग्राम दरियापुर, थाना करहल, जनपद मैनपुरी का मूल निवासी है। प्रार्थी एक साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखता है, जहां जीवन-यापन का एकमात्र साधन खेती-किसानी और मेहनत-मजदूरी ही है। प्रार्थी का न तो कभी किसी आपराधिक गतिविधि से कोई वास्ता रहा है और न ही कभी किसी अपराध में दोषी ठहराया गया है।

         दरअसल, समाज में प्रार्थी को एक ईमानदार, परिश्रमी और सरल व्यक्तित्व के रूप में जाना जाता है, जो सदैव सत्य और न्याय के पथ और मत पर चलता आया है।

        परंतु महोदय, विगत कुछ समय से प्रार्थी को करहल थाने में तैनात कांस्टेबल नदीम खान द्वारा अनवरत रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। अर्थात, एक माह पूर्व दर्ज पुराने अज्ञात ट्रैक्टर चोरी जैसे गंभीर अपराध में झूठा फंसाने की साजिश रची जा रही है। लेकिन इसका मूल कारण मात्र इतना है कि प्रार्थी ने उक्त कांस्टेबल को किसी भी प्रकार की धनराशि या अवैध सुविधा प्रदान करने से स्पष्ट इनकार कर दिया।

        लिहाजा, यह साजिश प्रार्थी की ईमानदारी पर प्रहार है, जो श्रीरामचरितमानस की इस चौपाई को साकार करती है: "दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी॥" – अर्थात, हे दीन दयालु प्रभु, मेरे भारी संकट को हर लीजिए, जैसा कि तुलसीदास जी ने राम की करुणा का वर्णन किया है।

        तथाकथित पूरा मामला इस प्रकार है 14 अगस्त, 2025 की रात 8:00 बजे लालू यादव निवासी फिरोजाबाद व दो अन्य जिनमें में एक का नाम घंटोली को कासगंज की ढोलना थाना पुलिस द्वारा बाइक चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया। उसी रात करहल थाने से कांस्टेबल नदीम खान ढोलना थाने गया और विभिन्न नंबरों से लालू से मेरे मोबाइल नंबर 9412141090 पर फोन किया और परिचय कराया और उससे कहा के इस मामले में विश्राम का नाम ले ले लेकिन उसके द्वारा ऐसा नहीं किया गया या मना किया गया क्योंकि वह व्यक्ति हमें जानता नहीं है इसके बाद नदीम खान वापस आया और लालू के साले मंतोष यादव और एक अन्य व्यक्ति अब्बास अली संभल का रहने वाला है को उठा लाया और कहीं से दो ट्रैक्टर बरामद करके लाया इन दोनों पर यह ट्रैक्टर लगा दिए इसके बाद कासगंज जेल में बंद लालू के खिलाफ भी वारंट बनाकर इसी मामले में जेल में वारंट दाखिल कर दिया।

        जब यह ढोलना थाने गया तो इसने लालू से मेरी बात कराते हुए कहा कि यह लोग तेरा नाम ले रहे हैं जबकि वह हमें जानते ही नहीं हैं। लेकिन यह नहीं माना इसने कहा कि नाम ले रहे हैं और मैं उनका वीडियो बना लिया है। फिर नदीम खान ने मेरे पास बहुत फोन किया यानी आप स्पष्ट है यह मुझे इस मामले में लिप्त करना चाह रहा है कासगंज वाले में नहीं हो पाया तो सोच रहा है कि कल वाले मामलों में लिप्त कर दें।

        मंतोष यादव और अब्बास अली को गिरफ्तार करने का मामला 21 अगस्त, 2025 को प्रकाशित किया गया 6 दिन थाने में रखा गया इनके द्वारा भी मेरा कोई नाम नहीं लिया गया लेकिन यह जबरदस्ती मुझे इस मामले में फँसाने पर अड़ा हुआ है।

        माई लॉर्ड! अब मैं आपके माध्यम से कुछ सवाल उठाना चाहेंगे जो जिनके जवाब इस पुलिस को देनी चाहिए पहला सवाल यही है

      खबरों के मुताबिक करहल के अलावा एक ट्रैक्टर बरनाहल थाने से चोरी हुआ है आरोपियों ने उसे चोरी करना कबूल किया है वह उपरोक्त अभियुक्तों ने चोरी किया है तो उसे बरामद क्यों नहीं किया गया है?

         यह कि जब इन लोगों ने ही यह दोनों या तीनों ट्रैक्टर चोरी किए हैं तो बरनाहल वाला ट्रैक्टर बरामद क्यों नहीं किया? जबकि उपरोक्त आरोपी तो 6 दिन तक थाने में रखे गए थे। या फिर इस बात का इंतजार किया जा रहा है कि विश्राम सिंह को जब पकड़ लिया जाएगा तो बरनाहल वाला मामला विश्राम सिंह पर रख दिया जाएगा और अन्य जो जेल भेज दिए गए इन लोगों पर उसका वारंट लगा दिया जाएगा? अब इसका मतलब यह है कि बरनाहल वाला ट्रैक्टर पुलिस की जानकारी में है, तभी तो हमें पकड़ने के बाद उसको बरामद किया जाएगा। यदि पुलिस की जानकारी में नहीं है तो फिर यह कैसे कह दिया गया है कि बरनाहल वाला ट्रैक्टर भी इन लोगों ने चोरी किया था?

        यह कि उपरोक्त बरामद ट्रैक्टर चीन आरोपियों ने बरामद कराए हैं, वह आरोपी तीसरे ट्रैक्टर को भी तो बरामद करा सकते हैं यदि वह उन्होंने ही चुराया है तो उन्हें तो सब पता होगा, कहां है; कहां नहीं है? उपरोक्त अभियुक्त द्वारा तीसरा ट्रैक्टर बताने या बरामद कराने में क्या दिक्कत थी? अर्थात तीसरे ट्रैक्टर की उपरोक्त व्यक्तियों को जानकारी नहीं पुलिस द्वारा झूठ बोला जा रहा है। यदि उपरोक्त आरोपियों ने चोरी करना स्वीकार किया है और बताया भी है तो पुलिस उसे अब तक बरामद करके क्यों नहीं ला रही है क्या इस बात का इंतजार कर रही है कि विश्राम को पकड़ने के बाद विश्राम पर लगाएंगे?

        वास्तविकता यह है कि असली आरोपी नहीं है असली आरोपी तो कोई और है इसके खास लोग हैं वह भी क्राइम करते हैं और जब मामला में दबाव पड़ता है, तूल पकड़ता है तो सिपाही नदीम खान तुरंत ट्रैक्टर बरामद कर लेता है और आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लेता है इसका मतलब है चोरी और कर सब नदीम खान से मिले हुए हैं और जब मिले हुए हैं तो उपरोक्त मेरे कथन की पुष्टि होती है कि यह रुपया लेकर दोषी को निकलता है और निर्दोष को फंसाता है। यह उन लोगों से रुपया लेता है उसमें से हिस्सा लेता है वसूली करता है और उन्हें बचा देता है और उनकी जगह अन्य निर्दोष लोगों को उसमें मिथ्यालिप्त कर देता है। क्योंकि अपराध करने वाले इसके खास लोग होते हैं।

        स्पष्ट है कि जो भी होता है वह उसकी जानकारी में होता है। यह सर्व विदित है कि नदीम खान जी थाने में रहता है उसे थाने का कोई भी सिपाही किसी अपराध का खुलासा नहीं कर पता है सिर्फ नदीम खान ही करता है हर बार आखिर ऐसा क्यों इसका मतलब साफ है कि जो कुछ हो रहा है इसकी जानकारी में हो रहा है इसको पता है कौन कर रहा है कौन नहीं कर रहा है और वह हिस्सा ले रहा है उसमें से उसके बाद किसको पकड़ता है किसको नहीं पकड़ता है उसमें किसको फसाना है यह तय करता है अगर ऐसा नहीं है तो क्या जिले में और पुलिस नहीं है? क्या यही काबिल और सब नाकाबिल हैं?

क्या जिले में इसके मुकाबले और पुलिस नहीं है, यह क्या भगवान है जो यही सब मामलों को खोल लेता है और यही सबको गिरफ्तार कर लेता है। यह अपराध कराता है और इसको सारी जानकारी रहती है कि कौन सा मामला कहां है और कौन सा मामला किस पर लगाना है किसको बचाना किसको छोड़ना है किससे रुपया लेना है इसीलिए यह सब फटाफट काम कर देता है और पुलिस की नजर में अपने आप को सर्वश्रेष्ठ साबित कर रहा है निर्दोष लोगों को फंसा फंसा कर अपने आप को सर्वश्रेष्ठ साबित कर रहा है जबकि खुद ही अपराध कर रहा है। आप विचार करिए बरनाहल वाला ट्रैक्टर भी अगर उपरोक्त अभियुक्तों ने चुराया है और उपरोक्त अभियुक्तों ने मेरा नाम लिया है तो मैं उनके साथी और उसमें शामिल हैं तो फिर उन लोगों को ले जाकर बरामद कर लेना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया इसका मतलब उनको इसकी जानकारी नहीं है; उन्होंने बरनाहल वाला ट्रैक्टर चोरी नहीं किया। जब उनको जानकारी नहीं है तो फिर हमें जानकारी कहां से होगी?

        अब सोचने वाली बात है यदि हम उनके साथी हैं तो जो जानकारी हमें है वह जानकारी उनको भी तो होगी। हमें गिरफ्तार करने के बाद मेरे द्वारा बरामद करने से बेहतर है कि उनको गिरफ्तार किया गया था, तब ही उसे बरामद कर लेना चाहिए था, अब तक कहां और क्यों खड़ा किया हुआ है? इसका मतलब है या तो चोरी नहीं हुई झूठा मामला बनाया जाएगा या फिर चोरी हुई है तो फिर इस नदीम खान की जानकारी में है कहां है कहां नहीं है और जो मुझे पकड़ने के बाद उसमें लिप्त कर देगा और बाकी लोगों पर उनके वारंट लगाए जाएंगे। बहरहाल, उपरोक्त दोनों ट्रैक्टर और तीसरा बरनाहल वाला भी नदीम खान के संरक्षण में चोरी किया गया और चोरी करने वाले इसके खास लोग थे इसीलिए इतनी आसानी से इसने बरामद कर अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया। तीसरा बरनाहल वाला भी इसकी जानकारी में है। और यह इसमें भी वही करेगा जो पहले वाले मामले में किया। जो इसे अपनी पत्नी, बहन, बेटी तथा धनादि देगा उसे दोषी को बचाएगा और किसी निर्दोष को फंसाएगा। सोचिए कितनी घिनौनी हरकतें कर रहा है और पुलिस इस पर आंखें मूंद कर भरोसा कर रही है।

        अर्थात ऐसी दशा में पुलिस विभाग के अतिरिक्त अन्य किसी स्वतंत्र एजेंसी से उच्च स्तरीय जांच अधिकारी को नामित कर जेल भेजकर उपरोक्त अभियुक्तगणों का बयान लिया जाना अति आवश्यक है ताकि पता चल सके वह विश्राम सिंह को जानते/पहचानते हैं या नहीं और नाम लिया/ ले रहे हैं या नहीं। यदि लिया/ले रहे हैं और नदीम खान सही बोल रहा है या कपोल-कल्पित यदि नाम नहीं लिया/ले रहे हैं तब प्रार्थी के मेडिकल रिपोर्ट प्रपत्र एक्स-रे आदि को नदीम खान के एक हाथ पर रख कर दूसरे हाथ से इस्तीफा लिया जाना न सिर्फ न्यायहित में परम् आवश्यक है बल्कि विधि सम्मत भी है।

        प्रार्थी की शारीरिक स्थिति एवं असमर्थता

        महोदय, प्रार्थी आपका ध्यान इस तथ्य की ओर भी आकर्षित करना चाहता है कि प्रार्थी का दाहिना हाथ बिल्कुल नहीं (दिव्यांग) है और दिनांक- 27मई, 2025 को प्रार्थी का बायां पैर गंभीर रूप से टूट गया था, जिसका उपचार सैफई (पीजीआई) में चल रहा है। आज दिनांक 25अगस्त, 2025 की ताजा एक्स-रे और मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार पैर अभी भी टूटा हुआ है और पूर्ण रूप से ठीक नहीं हुआ है। वर्तमान में प्रार्थी के पैर पर प्लास्टर चढ़ा हुआ है, और चिकित्सकीय रिपोर्ट स्पष्ट प्रमाण है कि प्रार्थी न तो चलने-फिरने में सक्षम है और न ही किसी प्रकार के अपराध में संलिप्त हो सकता है।

        मेरी एक्स-रे रिपोर्ट, मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन तथा डॉक्टरी प्रमाण पत्र इस पत्र के साथ संलग्न हैं।

        यह तथ्य स्वयं में स्पष्ट करता है कि ट्रैक्टर चोरी जैसे कार्य को अंजाम देना प्रार्थी के लिए शारीरिक रूप से असंभव है। किंतु फिर भी कांस्टेबल नदीम ख़ान प्रार्थी को इस झूठे मामले में फंसाने की जिद पर अड़ा हुआ है।

        कांस्टेबल नदीम ख़ान की धमकियाँ एवं दबाव

        महोदय, जब से उक्त कांस्टेबल करहल थाने में तैनात हुआ है, तब से वह प्रार्थी के परिवार को निरंतर परेशान कर रहा है। वर्ष 2022 में उसने प्रार्थी के छोटे भाई को गिरफ्तार करके मांग की कि "एक लाख रुपए दो या विश्राम को बुलाओ तो इसे छोड़ देंगे"। लेकिन जब प्रार्थी नहीं गया, तो उसने भाई को दूसरे थाने की पुलिस को सौंपकर मोबाइल चोरी के झूठे मुकदमे में जेल भिजवा दिया था और स्वयं को मामले से साइड में या अलग रखा था। वर्तमान में पिछले लगभग एक माह से उक्त कांस्टेबल प्रार्थी के घर पर कई बार आया। रक्षाबंधन से लगभग एक सप्ताह पूर्व वह प्रार्थी के घर पहुंचा और परिजनों से कहा कि "विश्राम सिंह को कहो कि मेरे संपर्क में आ जाए। अगर वह मेरे संपर्क में रहेगा तो मैं उसके लिए हर समस्या हल कर दूंगा, लेकिन यदि उसने दूरी बनाई तो उसका अंजाम बहुत बुरा होगा।" वह दावा करता है कि "प्रत्येक अपराधी मेरे लिए काम करता है, मैं उनकी जी-जान से मदद करता हूं।"

        इसके अतिरिक्त, उसने प्रार्थी के मोबाइल नंबर- +919412141090 पर विभिन्न मोबाइल नंबरों से फोन करके दबाव बनाया। बार-बार प्रार्थी की पत्नी से कहता है कि "हमसे आकर मिलो तो फायदे में रहोगी"। न आने पर प्रार्थी का एनकाउंटर करने और पिता, पत्नी, भाई आदि को झूठे मुकदमों में फंसाने की धमकी देता है।

        रक्षाबंधन से पूर्व जब यह मेरे घर पर आया था तो उसने मेरे भाई मेरी मां और मेरी पत्नी को अपशब्द कहे गाली गलौज की लेकिन मैं पुलिस के खिलाफ भयवश कुछ नहीं किया। लेकिन अब इसने एक नया तमाशा किया है इन मुकदमा में संलिप्त करने का षड्यंत्र रच दिया है। मजबूरन प्रार्थी को न्याय हेतु आपकी शरण में आना पड़ा है।

प्रार्थी ने उसके कई मुखबिरों के बयानों को मोबाइल से ऑडियो रिकॉर्ड किया है, जिनमें उन्होंने बताया कि वह महिलाओं को बुलाकर अवैध संबंध बनाता है और जो उसकी बात नहीं मानता, उसे झूठे मुकदमों में फंसा देता है।

        दरअसल, उसका स्पष्ट कहना है कि प्रार्थी मुखबिरी करे, जो लोग उसकी बात न मानें उन्हें पकड़वाए, और अवैध कार्य/अपराध करे और उन कार्यों में उसका हिस्सा दे। यदि पकड़े जाएं तो वह छुड़ाने और मदद की गारंटी देता है। उसने अपने पूरे सेवाकाल में इसी प्रकार के कार्य किए हैं। लेकिन जब प्रार्थी ने उसके अनैतिक प्रस्ताव को अस्वीकार किया, तो उसने खुले शब्दों में चेतावनी दी कि "बहुत जल्द तेरा एनकाउंटर करेंगे और झूठे मुकदमे में फंसाएंगे"।

यह व्यवहार श्रीमद्भागवतगीता के इस श्लोक को स्मरण कराता है: "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥" (गीता 2.47) – अर्थात, कर्तव्य में ही अधिकार है, फल की चिंता मत करो; लेकिन यहां कांस्टेबल कर्तव्य को भूलकर फल की लालसा में अंधा हो रहा है।

        मेरे परिजनों और गांव वालों पर दबाव

        कांस्टेबल नदीम ख़ान ने केवल प्रार्थी को ही नहीं, बल्कि परिवारजनों और गांव वालों को भी धमकाया। उसने प्रार्थी के चाचा विनतीराम (होमगार्ड), परिचित श्याम बहादुर (होमगार्ड) तथा अन्य ग्रामीणों से कहा कि "विश्राम सिंह को समझा दो कि वह मेरे संपर्क में रहे, अन्यथा उसका परिणाम बहुत बुरा होगा।"

        यह व्यवहार न केवल अमर्यादित है, बल्कि कानून व्यवस्था की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला है।  

        कांस्टेबल नदीम ख़ान द्वारा उल्लंघित नियम और कानून  

        महोदय, उक्त कांस्टेबल भारत में वर्तमान में लागू नियमों और कानूनों को ताक पर रखकर दंडनीय अपराध कर रहा है, जैसे:


        भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023:

धारा- 223 (लोक सेवक द्वारा कर्तव्य का उल्लंघन, पूर्व IPC 166),


धारा- 224 (दस्तावेजों में हेराफेरी, पूर्व IPC 167),


धारा- 351(2) (आपराधिक धमकी, पूर्व IPC 506),


धारा- 351(4) (उगाही, पूर्व IPC 384),


धारा- 147 (धार्मिक वैमनस्य फैलाना, पूर्व IPC 153A),


धारा 239 (झूठे साक्ष्य गढ़ना, पूर्व IPC 193),


धारा 246 (झूठे आरोप लगाना, पूर्व IPC 211)।


        भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023:

धारा- 174 (पुलिस द्वारा उचित प्रक्रिया का पालन न करना),


धारा- 176(3) (गंभीर अपराधों में फॉरेंसिक जांच की अनिवार्यता)।


        भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988:

धारा- 7 (रिश्वत की मांग),

धारा- 13 (आपराधिक कदाचार)


        भारत का संविधान:

अनुच्छेद- 14 (कानून के समक्ष समानता), 

अनुच्छेद- 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता)।


        पुलिस अधिनियम, 1861:

धारा- 7 (कर्तव्य में लापरवाही), धारा- 29 (अनुचित व्यवहार)।


        इसके अलावा, माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णयों का भी घोर उल्लंघन हो रहा है, जैसे "डीके बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य" (1997) में गिरफ्तारी के दिशा-निर्देशों की अवहेलना, "प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ" (2006) में पुलिस सुधारों की अनदेखी, तथा "अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य" (2014) में झूठे मुकदमों में अरेस्ट की रोकथाम संबंधी आदेशों का हनन। उच्च न्यायालय इलाहाबाद के कई निर्णयों में भी पुलिस की मनमानी पर अंकुश लगाया गया है, जैसे "ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार" (2014) में FIR पंजीकरण की अनिवार्यता।

        ट्रैक्टर चोरी के झूठे मामले में फंसाने का प्रयास

        दिनांक- 21अगस्त, 2025 को पुलिस द्वारा ट्रैक्टर चोरी के मामले का खुलासा किया गया और समाचार पत्रों में रिपोर्ट प्रकाशित हुई, जिसमें जानबूझकर प्रार्थी का नाम शामिल किया गया। किंतु वास्तविकता यह है कि:

1. प्रार्थी शारीरिक रूप से चलने-फिरने में असमर्थ है।

2. चिकित्सकीय स्थिति किसी भी अपराधी गतिविधि को असंभव बनाती है।

3. प्रार्थी के विरुद्ध न कोई प्रत्यक्ष प्रमाण है और न कोई गवाह।

यह सब कांस्टेबल नदीम ख़ान की व्यक्तिगत द्वेषपूर्ण मानसिकता और अवैध लाभ न मिलने की खीझ का परिणाम है।

कांस्टेबल का आपराधिक चरित्र एवं पृष्ठभूमि

        महोदय, उक्त कांस्टेबल की जहां-जहां तैनाती रही, वहां उसका व्यवहार संदिग्ध एवं विवादास्पद रहा है। पूर्व में जनपद फिरोजाबाद में तैनाती के दौरान दिनांक 31मई, 2021 की नवभारत टाइम्स आदि में प्रकाशित खबरों के अनुसार, वह ड्रग्स तस्करों के साथ संलिप्त पाया गया, जिसके फलस्वरूप चार सिपाहियों को निलंबित किया गया। प्रकाशित खबरों के लिंक:

Firozabad News: चरस माफिया ने खोला राज, कहा-पुलिस की संरक्षण में चल रहा था धंधा, 4 सिपाही निलंबित सिपाही नदीम खान

अपराधियों से वसूली के आरोप में 4 पुलिसकर्मी सस्पेंड, पूर्व एसओजी प्रभारी भी जांच के दायरें में सिपाही नदीम खान

गांव एवं क्षेत्रीय स्तर पर उसकी छवि एक भ्रष्ट एवं विवादित पुलिसकर्मी की है, जो पुलिस की वर्दी का सहारा लेकर आमजन को प्रताड़ित करता है, इससे समाज में कानून व्यवस्था के प्रति अविश्वास बढ़ रहा है।

        पुलिस द्वारा निर्दोषों को झूठे मुकदमों में फंसाने की परंपरा

        माननीय महोदय, उत्तर प्रदेश में अनेक ऐसे मामले सामने आए हैं जहां पुलिस ने बिना तथ्यात्मक जांच के निर्दोषों को झूठे मुकदमों में फंसाया। यह विडंबना है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा पुलिस सुधार संबंधी निर्णयों को दो दशक बीत चुके हैं, लेकिन "डीके बसु" मामले की धज्जियां उड़ रही हैं। कई मामलों में आरोपी घटना के समय पहले से जेल में बंद पाए गए। यह "खानापूर्ति" और "ऊपरी कमाई" की प्रवृत्ति से होता है, जो आमजन का पुलिस पर विश्वास डगमगा रही है।

        कांस्टेबल नदीम ख़ान के आचरण से प्रतीत होता है कि वह विशेष रूप से हिन्दू समुदाय को लक्ष्य बनाता है और झूठे मामलों में फंसाकर रंजिश निकालता है। यह पुलिस के भेष में "धर्म जिहाद" जैसा खेल है – एक तीर से कई निशाने: पुलिस की आड़ में अधर्म, आय से अधिक संपत्ति संग्रह, और हिंदुओं को चुन-चुन कर निशाना। आश्चर्य है कि समाज इसकी समझ नहीं कर पा रहा। यह लोकतंत्र के लिए घातक है और उच्चतम न्यायालय के आदेशों की अवहेलना है। श्रीरामचरितमानस की यह चौपाई यहां फिट बैठती है: "रघुकुल रीत सदा चली आई। प्राण जाहिं पर बचन न जाई॥" – अर्थात, रघुकुल की रीति है कि प्राण जाएं लेकिन वचन न जाए; लेकिन यहां वर्दी का वचन टूट रहा है।

        इस प्रकार की प्रवृत्ति पुलिस सेवा की गरिमा के विरुद्ध है और समाज में धार्मिक विद्वेष फैलाती है। यदि समय रहते अंकुश न लगाया गया, तो असंतोष और अशांति फैलेगी। श्रीमद्भगवद्गीता का यह श्लोक स्मरणीय है: "यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥" (गीता 4.7) – अर्थात, जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब मैं अवतार लेता हूं; लिहाजा, न्याय की रक्षा आवश्यक है।

        प्रार्थी की विनम्र प्रार्थना

        महोदय, उपर्युक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए विनम्र प्रार्थना है कि:

1. नदीम खान समेत सभी संभावित/संदिग्ध व्यक्तियों के मोबाइल फोन की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) निकाली जानी चाहिए। ताकि सच सामने आ सके और नदीम खान का असली नेटवर्क तथा जो लोग फंसाए गए या फंसाए जाने की संभावना है, घटना के समय उनकी लोकेशन घटनास्थल पर है या नहीं।

2. नदीम खान को करहल थाने से हटाकर पूरे मामले की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच कराई जाए।

3. कांस्टेबल नदीम ख़ान को तत्काल करहल थाने से हटाकर उसके आचरण की जांच स्वतंत्र एजेंसी (एसटीएफ/सीबीसीआईडी) से कराई जाए।

4. प्रार्थी को झूठे मुकदमे में फंसाने के प्रयास को रोका जाए और न्याय एवं सुरक्षा प्रदान की जाए।

5. पुलिस विभाग में कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए ताकि भविष्य में कोई निर्दोष शिकार न बने।


        प्रार्थी एक साधारण किसान है, जिसकी जीविका खेती-किसानी पर निर्भर है। यदि वर्दीधारी इस प्रकार फंसाएंगे, तो परिवार पर संकट आएगा। यह संविधान, लोकतंत्र और मानवता के लिए घातक होगा। बहरहाल, “पागलपन को लोकतंत्र के दमन की इजाजत नहीं दी जा सकती।”


        आपसे निवेदन है कि इस प्रार्थना पत्र पर संज्ञान लेकर शीघ्र न्याय दिलाएं। आपकी न्यायप्रियता पर पूर्ण विश्वास है।


        अतः माननीय श्रीमान जी! आपसे अति विशेष प्रार्थना/विनती है कि प्रस्तुत प्रार्थना पत्र को नियमानुसार रिट याचिका के रूप में स्वीकार संज्ञान में पाकर उचित वैधानिक कार्यवाही करने की कृपा करें; आपकी महान कृपा होगी।


दिनांक–27 अगस्त, 2025                    प्रार्थी                                                                             विश्राम सिंह पुत्र श्री सुल्तान सिंह

                                       ग्राम- दरियापुर, थाना- करहल,

                                       जनपद मैनपुरी (उ.प्र.)

                                      मोबाइल नं.-  +919412141090                                            VishramSinghYadavMainpuri@gmail.com


संलग्नक:

विश्राम सिंह यादव के आधार कार्ड एवं दिव्यांग प्रमाण पत्र की छायाप्रतियां

विश्राम सिंह यादव के 13 मई/25 अगस्त, 2025 के एक्स-रे की छायाप्रतियां

विश्राम सिंह यादव की मेडिकल रिपोर्ट 13 मई/30 जून/ 25 अगस्त, 2025 की छायाप्रतियां.pdf

इस मामले में गिरफ्तार आरोपी और दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों की छायाप्रतियां

जनपद फिरोजाबाद में तैनाती के दौरान सिपाही नदीम खान की अपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने की प्रकाशित समाचार पत्र की छायाप्रतियां


प्रतिलिपि:

निम्नलिखित को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु –

1.माननीय श्रीमान मुख्य न्यायमूर्ति जी, उच्च न्यायालय इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, प्रयागराज (इलाहाबाद)

2.माननीय श्रीमान (जस्टिस/अध्यक्ष) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), नई दिल्ली

3.माननीय श्रीमान अध्यक्ष महोदय, प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग, पटेल भवन, संसद मार्ग, नई दिल्ली

4.माननीय श्रीमान अध्यक्ष महोदय, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त/आयोग (CVC) नई दिल्ली 

5.माननीय श्रीमान लोकायुक्त/उप लोकायुक्त, प्रधान कार्यालय, उत्तर प्रदेश, लखनऊ

6.माननीय श्रीमान मुख्यमंत्री महोदय, उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ

7.श्रीमान पुलिस महानिदेशक (DGP), उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ

8.श्रीमान जिलाधिकारी महोदय, मैनपुरी

9.श्रीमान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय, जनपद मैनपुरी

10.माननीय श्रीमान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सीजेएम साहब) जी, जनपद मैनपुरी

11.श्रीमान थानाध्यक्ष, थाना/कोतवाली करहल, जनपद मैनपुरी


                                   हलफनामा/शपथ पत्र 

सेवा में,

        माननीय श्रीमान मुख्य न्यायमूर्ति (सीजेआई साहब) जी,  

                        उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली।

विश्राम सिंह                            बनाम                        उत्तर प्रदेश सरकार

शपथपत्र: मिनजानिव विश्राम सिंह (33 वर्ष ) पुत्र श्री सुल्तान सिंह निवासी दरियापुर, थाना- करहल, जिला मैनपुरी उत्तर प्रदेश।

श्रीमान जी!

            मैं, विश्राम सिंह (33 वर्ष ) पुत्र श्री सुल्तान सिंह निवासी दरियापुर, थाना- करहल, जिला मैनपुरी उत्तर प्रदेश। एतद् द्वारा सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान/शपथपूर्वक निम्नलिखित कथन करता हूँ:

        1.यह कि मैं उपरोक्त पते का निवासी हूँ और एक साधारण किसान परिवार से आता हूँ।

        2. यह कि मैं इस हलफनामे का प्रार्थी/शपथकर्ता हूँ और मेरे पास हलफनामा दाखिल करने का अधिकार और अधिकारिता है।

        3. यह कि यह हलफनामा दिनांक- 27 अगस्त, 2025 को माननीय मुख्य न्यायाधीश, भारत के सर्वोच्च न्यायालय और अन्य संबंधित अधिकारियों को भेजे गए मेरे आवेदन पत्र के समर्थन में है।

        4. यह कि उक्त आवेदन पत्र में दिए गए सभी तथ्य और विवरण मेरे व्यक्तिगत ज्ञान, अभिलेखों और सूचना पर आधारित हैं।

        5. यह कि मेरे गाँव के थाना करहल में तैनात कांस्टेबल नदीम खान द्वारा मुझे प्रताड़ित किया जा रहा है और मुझे एक झूठे ट्रैक्टर चोरी के मामले में फंसाने का प्रयास किया जा रहा है।

        6. यह कि कांस्टेबल नदीम खान मुझ पर रिश्वत और अवैध लाभ लेने का दबाव बना रहा है और जब मैंने इनकार कर दिया तो वह मुझे झूठे मामले में फंसाने की धमकी दे रहा है।

        7. यह कि मेरा दाहिना हाथ दिव्यांग है और 27 मई, 2025 को मेरा बायाँ पैर गंभीर रूप से टूट गया था, जिसका इलाज सैफई (पीजीआई) में चल रहा है। मेरी वर्तमान चिकित्सा रिपोर्ट (एक्स-रे सहित) के अनुसार, मेरा पैर अभी भी ठीक नहीं हुआ है और उस पर प्लास्टर लगा हुआ है।

        8. यह कि मेरी शारीरिक स्थिति के कारण, मेरे लिए ट्रैक्टर चोरी जैसे किसी भी आपराधिक कार्य में शामिल होना शारीरिक रूप से असंभव है।

        9. यह कि उपरोक्त तथ्यों को साबित करने वाली मेरी चिकित्सा रिपोर्ट, एक्स-रे, और अन्य दस्तावेज मेरे आवेदन के साथ संलग्न हैं।

       10. यह कि पुलिस ने 21अगस्त, 2025 को दो ट्रैक्टरों की चोरी के मामले का खुलासा किया और मेरे नाम को समाचार पत्रों में शामिल किया, जबकि इस मामले में मेरा कोई सीधा संबंध या संलिप्तता नहीं है।

        11. यह कि मेरे पास कांस्टेबल नदीम खान द्वारा मुझे धमकाने और झूठे मामले में फंसाने की कोशिश के सबूत के तौर पर कई ऑडियो रिकॉर्डिंग भी हैं, जिनमें वह महिलाओं के साथ अवैध संबंधों और अनैतिक गतिविधियों में लिप्त होने की बात करता है।

        12. यह कि कांस्टेबल नदीम खान की पिछली सेवाओं के दौरान भी उसका आचरण संदिग्ध रहा है, जैसा कि फिरोजाबाद में उसकी तैनाती के दौरान प्रकाशित समाचार पत्रों की रिपोर्टों से स्पष्ट है, जिसमें वह ड्रग्स तस्करों के साथ संलिप्त पाया गया था।

       13. यह कि मैं अपने परिवार और स्वयं के जीवन की सुरक्षा के लिए आशंकित हूँ और मुझे न्याय और सुरक्षा की आवश्यकता है।

        सत्यापन: मैं सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूँ कि उपरोक्त सभी कथन मेरे ज्ञान और विश्वास के अनुसार सत्य और सही हैं। इसमें कुछ भी नहीं छिपाया गया है और न ही कोई भी तथ्य गलत है। इसका सत्यापन आज दिनांक 27.08.2025 को वमुकाम तहसील करहल पर किया गया।

                                                                                                   प्रतिज्ञानकर्ता/शपथकर्ता

                                                                                                           विश्राम सिंह पुत्र श्री सुल्तान सिंह

                                                                                                           दिनांक: 27 अगस्त, 2025

                                                                                                           स्थान: करहल, मैनपुरी,(उ०प्र०) 

अटैस्टेशन मैं सत्यापित करता हूँ कि दिनांक- 27 अगस्त, 2025 को

विश्राम सिंह ने मेरी उपस्थिति में इस हलफनामे पर हस्ताक्षर किए हैं।

(नोटरी पब्लिक/शपथ आयुक्त)

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हस्ताक्षर:

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