पुलिस महकमे में एक पोस्ट होती है, जिसे I.O इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर कहते हैं। जिसे किसी मुकदमे के जांच पड़ताल की जिम्मेदारी दी जाती है। और ये महोदय जाँच कभी कभी इतना तेज करते हैं ,की सेम नाम होने पर और जनपद होने पर कोई क्रिमिनल हिस्ट्री न होने के वावजूद भी दो चार क्रिमिनल हिस्ट्री की रिपोर्ट लगा देते हैं।
अब प्रॉब्लम ये होती है कि कोर्ट में एडवोकेट नो क्रिमिनल हिस्ट्री लिख कर चलता है और कोर्ट में AGA साहब क्रिमिनल हिस्ट्री का चिठ्ठा ले कर चले आते हैं।
जिसके परिणामस्वरूप बेल होने के जगह काउंटर लग जाता है, काउंटर लगते ही कम से कम 2 से 3 महीने की अवधि जेल में रहने की बढ़ जाती है।
लेकिन जब अभियुक्त पक्ष के एडवोकेट द्वारा Rejoinder में उल्लेख किया जाता है नो क्रिमिनल हिस्ट्री, ऐसे सिचुवेसन में
लिबरल कोर्ट है तो बेल दे शक्ति है
कोर्ट शख्त है तो इंस्ट्रक्शन मंगवा सकती है।
या इन दोनों ही परिस्थिति में पीड़ित पक्ष के एडवोकेट विवेचक अधिकारी को कोर्ट में तलब करने की मांग कोर्ट से कर सकता है।
और इंस्ट्रक्शन में नो क्रिमिनल हिस्ट्री आती है तो विवेचक अधिकारी की नौकरी भी जा सकती है। या कोर्ट विभागीय कार्यवाही का आदेश्य दे सकता है।
इसी प्रकार का एक प्रकरण मेरे पास आया था। रिंकू नाम का एक लड़का था , उसके ऊपर कोई क्रिमिनल हिस्ट्री नही थी, (criminal misc bail Application 4131/2022)
लेकिन Aga ने कोर्ट में 3 क्रिमिनल हिस्ट्री को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया और रिंकू 6 महीने अधिक जेल में रहा जो अगले सप्ताह जेल से बाहर आएगा।
कहने का मतलब ये है कि पुलिस महकमा ईमानदारी से काम करे आप की एक गलती या चंद पैसों के चकर में लोगों का परिवार बिखर जाता है।
और कभी कभी पुलिस महकमें की इसी गलती के कारण लोगों के अंदर आपराधिक सोच भी विकसित होती है।
मैं भी सोचा कि जांचकर्ता अधिकारी को उसके किये की सजा दिलाया जाय। लेकिन अफसोस कि मैं सर्विस मैटर की प्रैक्टिस करता हूँ, किसी सर्विस पर्सन के बारे में,मैं उससे बेहतर समझ रखता हूँ कि एक नौकरी पर कितने लोग डिपेंडेंट होते हैं। यही वजह रही कि कोर्ट से सिर्फ बेल की रिक्वेट किया। औऱ और ने बेल ग्रांट किया। क्योंकि हम क्रिमिनल मैटर की प्रैक्टिस करते नही है। जब कोई आ जाता है और हमें लगता है कि इसके साथ गलत हुआ है ,इसके साथ खड़ा होना चाहिए। तो फिर खड़े अंतिम समय तक रहते हैं। जबतक की वो बाहर न आ जाय
और सर्विस मैटर में कोई ऐसा एक्शन नही लेना चाहते हैं कि एक कि गलती की वजह से उसके परिवार के सदस्य भी साथ मे सफर करें।
इस पोस्ट को लिखने का सिर्फ एक उद्देश्य है की आप जो भी कार्य करते हो ,जिस विभाग में कार्यरत हो , आप कोई ऐसा कार्य न करे जिससे अगला ब्यक्ति सफर करे।
नही तो कभी कभी लेने के देने भी पड़ जाते हैं।
धन्यवाद।
विश्राम सिंह यादव
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